अशोक के चमत्कारीक प्रयोग जिसके जरीये आप अपने रोगों का नाश कर सकेंगे।

 

 आपने अपने आस-पास अशोक के पेड़ देखें होंगे क्या कभी अपने सोचा होगा कि ये पेड़ औषधीयों का खजाना है जिसके जरीये आप अपने विभिन्न रोगों का उपचार कर सकेंगे, आईये जानते हैं :-



अशोक से उपचार :
स्वप्नदोष : स्वप्नदोष में 30 ग्राम अशोक की छाल कूटकर 250 मि.ली. पानी में पकाएं, जब आधा रह जाये तो उसे छान लें इसमें 5 ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम खाने से लाभा मिलेगा।
मुंहासे : अशोक की छाल का काढ़ा बना लें, छान कर बराबर मात्रा में सरसों का तेल मिलाकर मुहांसों पर लगायें। इसके नियमित रूप से प्रयोग करने पर आपके मुहांसे गायब हो जायेंगे।
पेशाब में रूकावट : अशोक के बीज को पानी में पीस लें और रोज 2 चम्मच की मात्रा में पीयें इससे आपके पेशाब की रूकावट में आराम मिलेगा और अगर आपको पथरी की शिकायत होगी तो उसमें भी आराम मिलेगा।


सांस फूलना : अशोक बीज का चूर्ण बनाकर एक चम्मच चूर्ण पान में लपेटकर चबायें इससे आपके सांस फूलने की शिकायत दूर होगी।
त्वचा सौंदर्य : अशोक की छाल के रस से सरसों को पीसकर छाया में सुखा लें, उसके बाद जब इस लेप को लगाना हो तो अशोक की छाल के रस में मिलाकर त्वचा पर लगायें इससे रंग निखरता है।
फोड़े-फुंसी : अशोक की छाल का काढ़ा बना कर उसे छान लें और बराबर मात्रा में सरसों का तेल मिलाकर फोड़े-फुंसीयों पर लगायें। इसको लगाने से आपके फोड़े-फुंसी गायब हो जायेंगे।

मंदबुद्धि (बुद्धिहीनता ) : ब्राहमी का चूण और अशोक की छाल का चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर, एक-एक चम्मच सुबह शाम दूध के साथ पीने से कुछ ही महिनों में बुद्धिहीनता समाप्त हो जायेगी। इससे बुद्धि का विकास होगा।

श्वेत प्रदर : अशोक की छाल का चूर्ण और मिश्री को समान मात्रा में मिलाकर गाय के दूध के साथ एक-एक चम्मच दिन में तीन बार सेवन करते रहने पर कुछ ही दिनों में श्वेत प्रदर से छुटकारा मिल जाता है।

खूनी प्रदर : अशोक की छाल, इलायची के बीज, सफेद जीरा और दालचीनी, इनाको उबालकर काढ़ा बनायें और छानकर दिन में 3 बार इसका सेवन करें, आराम मिलेगा।

स्त्रायों के नीचे भाग के ढीलेपन के लिए : अशोक की छाल, बबूल की छाल, गूलर की छाल, माजफल और फिटकरी समान भाग में पीसकर 50 ग्राम चूर्ण को आधा लीटर पानी में उबालें जब पानी 100 मि. ली. बच जाये तो उसे छान कर रख लें और इसे पीचकारी के माध्यम से रोज रात्रि को अपने नीचे भाग में डालें, एक घंटे बाद मूत्रा त्याग करें, ध्यान रहे मूत्रा त्यागते समय थोड़ा रोकें फिर मूत्रा त्यागें ऐसा कई बार करें, इससे निचे का भाग टाईट हो जायेगा।
पथरी : अशोक के 2-4 ग्राम बीज को पानी में पीसकर नियमित रूप से 2 चम्मच की मात्रा में पीने से पथरी में आराम मिलता है और इससे मूत्रा खुलकर आता है कोई रूकावट नहीं होती।

हड्डी टूटने पर : अशोक की छाल का चूर्ण बनायें 5 ग्राम दूध के साथ सुबह-शाम पीयें और अशोक की छाल के चूर्ण का लेप करें इससे टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती हैं।


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