इन्फ्लुएंजा ( भारी नजला ) का आयुर्वेदिक उपचार

 



इन्फ्लुएंजा एक प्रकार का संक्रमण है, जो इन्फ्लुएंजा वायरस की विभनन किस्मों से होता है, जिसमें इन्फ्लुएंजा ए ( एच1एन1 ) 2009 वायरस ( यानि सुअर इन्फ्लुएंजा वायरस ) शामिल हैं। इसमें फेफड़ों के उपद्रवों की आशंका अधिक होती है। यह रोग महामारी के रूप में फैलता है। इसे फ्लू भी कहा जाता है। यह एक संक्रामक रोग है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो जाता है। यह रोग 2,3 या 7 दिनों मे उतर जाता है। इस रोग के उतरने के बाद शरीर में कमजोरी आ जाती है, मानसिक दुर्बलता तथा अशान्ति का दौर लगभग दो हप्ते तक बना रहता है।

सावधानी

बुखार, नाक बहने, गले में खराश और खांसी जैसे लक्षण बने रहते हैं, तो अपने फैमिली डॉक्टर की सलाह लें।
रोगी को अधिक पानी पीना चाहिये तथा आराम करना चाहिये।

इन्फ्लुएंजा ( भारी नजला ) का आयुर्वेदिक उपचार



  • एक चम्मच पिसी सौंठ में चार दाने काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर ताजे पानी से सेवन करें।
  • 60 ग्राम अदरक, 10 ग्राम काली मिर्च, 2 ग्राम लौंग, 5 ग्राम तुलसी के बीज और 20 ग्राम गुड़ सबको काढ़ा बनाकर चार खुराक करें। इसका सेवन दिन में चार बार करें।
  • 5 ग्राम राई ( सरसों के दाने ) पीसकर शहद के साथ सेवन करें। थोड़ी राई पोटली में बांधकर बार-बार सूंघें।
  • 10 ग्राम मूली के बीजों का चूर्ण लेकर काढ़ा बनाकर सेवन करें।
  • तुलसी, मुलहठी, चिरायता, सौंठ, कटेरी की जड़, काली मिर्च और अदरक समभाग लेकर काढ़ा बनाकर रात को सोने से पहले पिएं।
  • गुड़ एवं काले तिल के लड्डू खाने से फ्लू में काफी लाभ होता है।
  • पानी में हींग घोलकर सूंघने से नाक तथा कंठ में जमा कफ और श्लेष्मा बाहर निकल जाता है और रोगी को आराम मिलता है।
  • एक कप गाय के दूध में एक चम्मच पिसी हुई हल्दी घोलकर पी जायें आराम मिल जायेगा।
  • नीम की छाल, सौंठ, गिलोय, कटेरी, पीपल तथा अडूासा, सब 5-5 ग्राम लेकर काढ़ा बनाकर सुबह शाम सेवन करें।


उपरोक्त नुस्खों में से चिकित्सक की सलाह के अनुसार दो या तीन नुस्खों का ही प्रयोग करें।

इन्फ्लुएंजा ( भारी नजला )  के  इसके लक्षण

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