अमलतास गुणों से भरपूर

 

हमारे भारत देश में जड़ी बूटियों का खजाना है जिसका हम लोग युक्तिपूर्वक उपयोग करें तो बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी। इस समय हमलोग अमलतास के बारे में जानेंगे कि अमलतास के क्या गुण हैं और उसको कैसे उपयोग में लाया जाये।



अमलतास के उपयोगी भाग के बारे में जानिये :
अमलतास के पत्तों का रस, लेप, काढा, फल, मज्जा, जड़ की छाल तथा तने की छाल का काढ़ा का उपयोग किया जाता है रोग के अनुसार इनका इस्तेमाल किया जाता है।

औषधीय उपयोग : अमलतास के विभिन्न अंग भिन्न भिन्न रोगों में काम आते हैं। आपको यहाँ कुछ रोगों में इसकी उपयोगिता बताई जा रही है।

कोष्ठ शुद्धि (कब्ज़) :  कब्ज़ रोग को ठिक करने के लिए इसके गुदे को प्रयोग में लाया जाता है।

अमलतास की फल मज्जा की 5 से 12 ग्राम की मात्रा 200 मि. लि. गाय के गर्म दुध के साथ लेने से कब्ज़ में से निजात मिलती है। अमलतास की सूखी फली का 3 या 4 इंच का टुकड़ा कूटकर एक गिलास पानी में डाल कर उसमें 2 चम्मच सूखे गुलाब के फूल की पंखुडियों और 1 चम्मच मोटी सौंफ डालकर हल्की आंच पर उबलने रख दें। जब पानी आधा रह जाए तब छानकर हल्का गरम रहते रात को पीने से सभी प्रकार के कब्ज़ में लाभ होता है। पूर्ण लाभ हो जाने पर इस काढ़े का सेवन बन्द कर दें। कमजोर व्यक्ति, बच्चे, स्त्री तथा गर्भवती स्त्री को भी कुछ मात्रा करके दिया जा सकता है इसका ज्यादा उपयोग न किया जाये।

अमलतास का गुदा 3 ग्राम, छोटी हरड़ को मोटा चूर्ण 2 ग्राम, सौंफ 3 ग्राम तथा अनारदाना 5 ग्राम लेकर 2 या 3 कप पानी डालकर धीमी आंच पर उबालें आधा शेष रहने पर उतारकर छान लें। इस काढ़े के सेवन से बर्सात के समय होने वाले पेट के रोगों से निजात दिलाता है।

अमलतास और इमली के गूदे को पीसकर रख लें। इन दोनों की 15-15 ग्राम मात्रा सोने से पहले पानी में गलाकर लेने से प्रातःकाल पेट साफ होता है।

अमलतास के गुदे को 10 ग्राम मात्रा लेकर 100 मि.लि. पानी में रोज भिगोकर रात को सोने से पहले गुड़ के साथ लेने पर प्रातःकाल कब्ज़ से राहत मिलती है।

कुष्ठ या चर्मरोग होने पर : अमलतास के पंचांग (पत्रा, पुष्प, फल, जड़, तना) को मिलाकर काढ़ा बनाकर उससे स्नान करने तथा हाथ पैर धोने से चर्म रोग में लाभ मिलता है।

अमलतास के पत्तों को पीसकर लेप करने से कुष्ठ के चकत्तों में लाभ मिलता है।

कंटक रोग में अमलतास का गूदा और नीम के पत्तों के काढ़े का 20 मि.लि. मात्रा में नियमित रूप से सेवन करने से कंटक रोग में लाभ मिलता है।

फोड़े फुंसियों में लाभ : अमलतास के पत्तों को दूध् में पीसकर शिशु के शरीर पर लेप करने से शरीर पर होने वाली फोड़े फुंसियों में आराम मिलता है।

दाद होने पर : अमलतास की जड़ की छाल को दूध् में उबालकर पीसकर गाढ़ा लेप बना लें और उसे दाद वाली गज पर लगायें दाद ठिक हो जायेगी।

ज्वर : ज्वर में जब मलावरोध् हो तो इसके काढ़े को गुलकंद के साथ देने पर लाभ मिलता है। तथा शुष्क गांठदार मल बाहर आ जाता है।

मुंह में छाले होने पर : अगर आपके मुंह में छाले हो गये हैं तो अमलतास की गिरी और धनिया 3-3 ग्राम लेकर चुटकी भर कत्था मिलाकर चूर्ण तैयार कर लिजिए और चूर्ण को दो तीन बार चूसने से लाभ मिलेगा।

पेशाब में रूकावट : अमलतास के बीज की गीरी को पीसकर लेप बना लें फिर उसे नाभि के नीचे लगायें। पेशाब में आने वाली रूकावट दूर होगी।

रक्तपित्त : अगर किसी को अचानक मुंह या नाक से खून आने लगे तो अमलतास के गूदे 20 ग्राम, 10 ग्राम आंवला मिलाकर 2 कप पानी में काढ़ा बना लें। फिर काढ़े को छानकर इसमें 2 चम्मच शहद मिलाकर देने से रोगी को आराम मिलता है।

आमाशय शोधन : कोई हानिकारक चीज खा लेने से होने वाले दुष्प्रभाव से बचने के लिए अमलतास के 4-5 बीच पीसकर पिलाने से तुरन्त उल्टी हो जाती है और हानिकारक चीज बाहर आ जाती है।

गंडमाल : अगर गले के नीचे की ओर गांठ जैसी दिखाई देने लगे तो उसे गंडमाल समझिये, इसके इलाज के लिए आप अमलतास के बीजों का चूर्ण का लेप बना लें और गंडमाल वाली जगह पर उसे लगायें।

गठिया : गठिया के होने वाले दर्द में अमलतास के 5-7 पत्तों को सरसों के तेल के साथ भूनकर शाम को भोजन के बाद देने से लाभ मिलता है।

पीलिया : अमलतास का गुदा, पिपलामूल, नागरमोथा, कुटकी, हरड़ सभी 5-5 ग्राम लेकर थोडे़ पानी में उबालकर काढ़ा बना लें और 10 से 15 दिनों तक लेने पर पिलिया रोग में आराम मिलता है।

खांसी : अमलतास के गूरे की 5 से 10 ग्राम की मात्रा को पानी में उबालकर उसमें तीन गुना चीनी डालकर चासनी बना लें और उसे चाटें खांसी दूर हो जायेगी।

नाक की फुंसी : इसके पत्तों और छाल को पीसकर नाक की छोटी-मोटी फुंसीयों पर लगाने से आराम मिलता है।
टांसिल्स : कफ के कारण गले में होने वाले टांसिल्स से निजात पाने के लिए आप अमलतास की जड़ के काढ़े को बनाकर थोडा़-थोड़ा मुख में डालकर पीने से राहत मिलती है।


नोट- तस्वीरों का प्रयोग सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।

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