इन्फ्लुएंजा ( भारी नजला ) क्या है तथा इसके लक्षण

 



यह ज्वर थूक, कफ, नाक श्लेष्मा, मल आदि के प्रभाव से चढ़ता है। यह रोग सर्दी-गर्मी के कारण बहुत जल्दी फैलता हैं। ज्यादा थकान, मेहनत करने के बाद ठंडा पानी पीने, दूषित भोजन करने, दूषित वातावरण में रहने आदि से यह उत्पन्न होता है।



इन्फ्लुएंजा एक प्रकार का संक्रमण है, जो इन्फ्लुएंजा वायरस की विभनन किस्मों से होता है, जिसमें इन्फ्लुएंजा ए ( एच1एन1 ) 2009 वायरस ( यानि सुअर इन्फ्लुएंजा वायरस ) शामिल हैं। इसमें फेफड़ों के उपद्रवों की आशंका अधिक होती है। यह रोग महामारी के रूप में फैलता है। इसे फ्लू भी कहा जाता है। यह एक संक्रामक रोग है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो जाता है। यह रोग 2,3 या 7 दिनों मे उतर जाता है। इस रोग के उतरने के बाद शरीर में कमजोरी आ जाती है, मानसिक दुर्बलता तथा अशान्ति का दौर लगभग दो हप्ते तक बना रहता है।

इन्फ्लुएंजा के लक्षण

  • रोगी बहुत कमजोर हो जाता है।
  • शरीर में तेज दर्द होता है।
  • आंख, सिर आदि में असहनीय दर्द होता है, देखते-देखते बुखार 103 से 104 डिग्री तक पहुंच जाता है।
  • रोगी बार बार पानी पीने की इच्छा होती है।
  • पेशाब की मात्रा कम हो जाती है।
  • जीभ मैली हो जाती है।
  • आंखों मे लाली, नाक से पानी बहना, खांसी, बदबूदार श्वास आदि लक्षण दिखते हैं।
  • कभी कभी गले में सूजन हो जाती है।
  • शरीर में दर्द रहने के कारण रोगी बेचैन रहता है। नींद बड़ी कठिनाई से आती है। जबकि रोगी की आंखें नींद के लिए झुकती रहती है।।
  • रोगी को मांसपेशियों मे दर्द, नाक बहने, थकान, दस्त और उल्टी की शिकायत भी हो सकती है।
  • रोग 2 से 7 दिनों में सुधार होता है।

इन्फ्लुएंजा ( भारी नजला ) का आयुर्वेदिक उपचार जानने के लिये यहां क्लिक करें



No comments:
Write comments

s1
s1
s1