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पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए हेल्थ टिप्स - Health tips for the man

पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए हेल्थ टिप्स - Health tips for the man


आज की ये आधुनिक शैली मनुष्य के जीवन पर बहुत बुरा असर डाल रही है, अधिकतर पुरूषों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड रहा है। पुरूषों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना बहुत ही आवश्यक है  कहीं यह असर खान पान से ज्यादा मंहगा न पड़ जाये। इस लिये पुरूषों के स्वास्थ्य को मद्देनजर रखते हुये कुछ उपाय बताये गये हैं जिसके जरिये पुरूष अपने स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं।

अनिद्रा को भगायें और स्वस्थ रहें।

अच्छी नींद की पहली आवश्यकता है सुरक्षा का भाव। हमें आभास होना चाहिये कि कोई अद्वितीय शक्ति सवेरे तक या यूँ करें कि सोने के दौरान हमारी रक्षा करेगी। डॉ. थॉमस हाइस्लॉप ने कहा था - वर्षों की प्रेक्टिस के अनुभव से मैंने जाना कि नींद लाने वाला सर्वश्रेष्ठ उपाय है प्रार्थना। मैं यह बात पूरी तरह से डॉक्टर के नजरिये से कह रहा हूं। जो लोग आदतन प्रार्थना करते हैं उनके लिये यह मस्तिष्क और नर्व्ज़ को शांत करने के समस्त उपायों में सबसे पूर्ण और सामान्य माना जाना चाहियें।


सोने के समय इन बातों का ध्यान रखिये

सभी व्यक्ति को नींद की जरूरत होती है इसलिये सोना जरूरी है तथा यह कहलें कि जिंदगी का एक हिस्सा है व्यक्ति अपने जीवन काल में जितना जागता है उतनाही सोता भी है। 

गर्मी के मौसम में ये आहार रखेंगे शरीर को स्वस्थ

गर्मी के मौसम में खानपान की जरा सी असावधानी होने पर तरह तरह की बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं।
इस मौसम में गर्मी से बचने के लिये ठंडे और तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिये इससे शरीर में नमी और शीतलता बनी रहती है।

जानिये एड्स के लक्षण और उपचार

एड्स एक लाइलाज बीमारी है जिससे आपको हमेशा बच के रहना चाहिए, वैसे इस समय एड्स के मरीजों के लिए दवाई बनाई जा चुकी है जिसके इस्तेमाल से बीमारी ख़त्म तो नहीं होती पर थम जाती है तथा दवाई बंद करने पे बीमारी दुबारा बढ़ जाती है,

AIDS गंभीर और जानलेवा रोग है। AIDS का Full Form है Acquired Immuno Deficiency Syndrome यानि ऐसी बीमारी जो रोग-प्रतिकार शक्ति कम कर लक्षण देता है

अक्सर एच.आई.वी से संक्रमित लोगों में लम्बे समय तक एड्स के कोई लक्षण नहीं दिखते। दीर्घ समय तक (3, 6 महीने या अधिक) एच.आई.वी भी औषधिक परीक्षा में नहीं उभरते। अधिकांशतः एड्स के मरीज़ों को ज़ुकाम या विषाणु बुखार हो जाता है पर इससे एड्स होने की पहचान नहीं होती। एड्स के कुछ प्रारम्भिक लक्षण हैं:



ध्यान रहे कि ये समस्त लक्षण साधारण बुखार या अन्य सामान्य रोगों के भी हो सकते हैं। अतः एड्स की निश्चित रूप से पहचान केवल और केवल, औषधीय परीक्षण से ही की जा सकती है व की जानी चाहिये। एचआईवी संक्रमण के तीन मुख्य चरण हैं: तीव्र संक्रमण, नैदानिक विलंबता एवं एड्स.


प्रारंभिक अवस्था में एड्स के लक्षण

  1. तेज़ी से अत्याधिक वजन घटना
  2. सूखी खांसी
  3. लगातार ज्वर या रात के समय अत्यधिक/असाधारण मात्रा में पसीने छूटना
  4. जंघाना, कक्षे और गर्दन में लम्बे समय तक सूजी हुई लसिकायें
  5. एक हफ्ते से अधिक समय तक दस्त होना। लम्बे समय तक गंभीर हैजा।
  6. फुफ्फुस प्रदाह
  7. चमड़ी के नीचे, मुँह, पलकों के नीचे या नाक में लाल, भूरे, गुलाबी या बैंगनी रंग के धब्बे।
  8. निरंतर भुलक्कड़पन,


एच.आई.वी.  के फैलने के मुख्य  मार्ग 

  1. मैथुन या सम्भोग द्वारा ( गुदा, योनिक या मौखिक )
  2. शरीर के संक्रमित तरल पदार्थ या ऊतकों द्वारा ( रक्त संक्रमण या संक्रमित सुइयों के आदान-प्रदान )
  3. माता से शीशु मे ( गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान द्वारा )
मल, नाक स्रावों, लार, थूक, पसीना, आँसू, मूत्र, या उल्टी से एच. आई. वी. संक्रमित होने का खतरा तबतक नहीं होता जबतक कि ये एच. आई. वी संक्रमित रक्त के साथ दूषित न हो

AIDS से बचाव के लिए निम्नलिखित सावधानी बरते :

  1. अपने साथी से वफादार रहे। 
  2. ज्यादा व्यक्तियों के साथ सेक्स सम्बन्ध नहीं बनाने चाहिए। अगर किसी अन्य व्यक्ति के साथ सेक्स संबंध बनाने भी हों तो हमेशा कंडोम का प्रयोग करना चाहिए। 
  3. जहां तक हो सके वेश्या या गलत लोगों से सेक्स संबंध बनाने से बचना चाहिए। 
  4. अगर बाहर दाढ़ी आदि बनवानी हो तो नाई से कहकर हमेशा नए ब्लेड का प्रयोग ही करवाएं। 
  5. अस्पताल आदि में सुई लगवाते समय हमेशा नई सीरींज का ही प्रयोग करना चाहिए। 
  6. अगर अस्पताल आदि में खून चढ़वाने की जरूरत पड़ जाए तो पहले पूरी तरह confirm हो जाएं कि जो खून आपको चढ़ाया जा रहा है वह किसी AIDS रोग से ग्रस्त रोगी का तो नहीं है।

एड्स रोग का उपचार


औषधी विज्ञान में एड्स के इलाज पर निरंतर संशोधन जारी हैं। भारत, जापान, अमरीका, युरोपीय देश और अन्य देशों में इस के इलाज व इससे बचने के टीकों की खोज जारी है। हालांकी एड्स के मरीज़ों को इससे लड़ने और एड्स होने के बावजूद कुछ समय तक साधारण जीवन जीने में सक्षम हैं परंतु अंत में मौत निश्चित हैं।

एड्स लाइलाज हैं। इसी कारण आज यह भारत में एक महामारी का रूप हासिल कर चुका है। भारत में एड्स रोग की चिकित्सा महंगी है, एड्स की दवाईयों की कीमत आम आदमी की आर्थिक पहुँच के परे है। कुछ विरल मरीजों में सही चिकित्सा से 10-12 वर्ष तक एड्स के साथ जीना संभव पाया गया है, किंतु यह आम बात नही है।
ऐसी दवाईयाँ अब उपलब्ध हैं जिन्हें प्रति उत्त्क्रम-प्रतिलिपि-किण्वक विषाणु चिकित्सा [anti reverse transcript enzyme viral therapy or anti-retroviral therapy] दवाईयों के नाम से जाना जाता है। सिपला की ट्रायोम्यून जैसी यह दवाईयाँ महँगी हैं, प्रति व्यक्ति सालाना खर्च तकरीबन 15000 रुपये होता है और ये हर जगह आसानी से भी नहीं मिलती। इनके सेवन से बीमारी थम जाती है पर समाप्त नहीं होती। अगर इन दवाओं को लेना रोक दिया जाये तो बीमारी फ़िर से बढ़ जाती है, इसलिए एक बार बीमारी होने के बाद इन्हें जीवन भर लेना पड़ता है। अगर दवा न ली जायें तो बीमारी के लक्षण बढ़ते जाते हैं और एड्स से ग्रस्त व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है।

एक अच्छी खबर यह है कि सिपला और हेटेरो जैसे प्रमुख भारतीय दवा निर्माता एच.आई.वी पीड़ितों के लिये शीघ्र ही पहली एक में तीन मिश्रित निधिक अंशगोलियाँ बनाने जा रहे हैं जो इलाज आसान बना सकेगा (सिपला इसे वाईराडे के नाम से पुकारेगा)। इन्हें आहार व औषध मंत्रि-मण्डल [FDA] से भी मंजूरी मिल गई है। इन दवाईयों पर प्रति व्यक्ति सालाना खर्च तकरीबन 1 लाख रुपये होगा, संबल यही है कि वैश्विक कीमत से यह 80-85 प्रतिशत सस्ती होंगी।
- wikipedia के अनुसार 


इन्फ्लुएंजा ( भारी नजला ) की रोकथाम कैसे करें।

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